16 अप्रैल को मुंबई के कांदिवली में रहने वाले जूना अखाड़े के दो साधुओ, 35 साल के सुशिल गिरी महाराज और 70 साल के कल्पवृक्ष गिरी महाराज को ये पता चला कि सूरत में उनके एक परिचित की मौत हो गयी है, ऐसे में ये दोनों साधु ड्राइवर नीलेश को लेकर अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए निकल पड़े, मुंबई से करीब 120 किलोमीटर दूर चलने के बाद ये पालघर ज़िले के गड़चिलचीले गांव के पास पहुंचे ये इलाका दादरा नगर हवेली और महाराष्ट्र की सीमा पर है, लॉकडाउन के चलते साधुओ ने दिल्ली-मुंबई हाईवे को छोड़ देहाती इलाके की सड़को से जाने का फैसला लिया और यही फैसला भारी पद गया।
गड़चिलचीले गांव के पास वन विभाग के एक इलाके पर इनकी गाड़ी को रोका गया साधुओं और वन विभाग के स्टाफ के बिच बात चल ही रही थी की वहाँ आस-पास के कुछ लोग इकठा हो गए और इन्हे धमकाना शुरू हो गए यही से बात बढ़ती गयी और बात मार पिटाई तक आ गयी, गांव के लोगो ने साधुओं और उनके ड्राइवर को बुरी तरह पीटा गांव वालो को शक था की ये लोग बच्चा चोरी के गिरोह से है, गांव वालो के हाथ में डंडे, कुल्हाड़ी और कई हथियार थे, तीनो इस घटना में बुरी तरह घायल हो गए, इंडियन एक्सप्रेस ने 20 अप्रैल की अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि पिछले कई दिनों से इलाके में बच्चा चोर के गिरोह की अफवाह थी इसके बाद गांव वालो ने समूह बनाकर निगरानी करना शुरू कर दिया था, इस घटना से कुछ दिन पहले पास के गांव में आदिवासीओ की मदद करने जा रहे डॉक्टर पर भी इस निगरानी वाले गिरोह ने हमला किया था और तब डॉक्टर को बचाने वाली पुलस टीम पर भी पथराव हुआ था, ये वाक्य भी साधुओं की लांचिंग वाले मामले की तरह कासा पुलिस थाने की सीमा पर हुआ था, प्रशासन का कहना है की जब 16 अप्रैल वाला हमला हुआ तब पुलिस के चार जवान कासा पुलिस थाने से मौके पर पहुंचे, तब तक साधुओं की गाड़ी पलट दी गयी थी, जब पुलिस को लगा कि फ़ोर्स काफी नहीं है तो आठ जवान और पहुंचे, इस टीम ने किसी तरह लोगों को शांत करवाया लेकिन जब पुलिस दोनों साधुओं और ड्राइवर को लेकर जाने लगी तो तकरीबन 400 लोगों की एक भीड़ ने फिरसे हमला क्र दिया, भीड़ ने तीनो को पिट-पिट कर ही मार डाला, कुछ पुलिस कर्मी भी घायल हुए।
सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो भी वायरल हुए जिसमे पुलिस के जवान हमले को रोकते हुए नज़र नहीं आ रहे, पालघर के क्लेक्टर कैलाश शिंदे ने कहा कि पुलिस अधिकारिओ द्वारा लिए गए फैसलों की समीक्षा के लिए इन्क्वायरी होगी, इस मामले में पुलिस ने 101 लोगों को गिरफ़्तार किया है जिन्हे 12 दिनों की रिमांड पर भेजा गया है, 9 नाबालिकों को हिरासत में लेकर सुधारगृह भेजा गया है, लेकिन इस इन्क्वायरी ने नाराज़गी को दूर नहीं किया, विपक्षी पार्टिओ ने भी उद्धव ठाकरे सरकार की आलोचना की, कुछ देश प्रेमिओ ने तो सोशल मीडिया पर इस बात को जोरो-शोरो से रखा की मरने वाले साधु है इसीलिए सरकार की कारवाई ढीली है, इसके बाद महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि घटना को दूसरा रूप देकर देश की एकता को भंग करने वालो पर भी कारवाई होगी उन्होंने इस बात का भी ज़िकर किया कि हमलावर और मृतक अलग अलग धर्मों से नहीं आते इसीलिए इस घटना को सम्प्रदायक रंग न दिया जाए, महाराष्ट्र सरकार ने इस घटना के बाद दो पुलिस कर्मिओं को ससपेंड भी किया, उद्धव ठाकरे ने भी बताया कि उन्होंने इस घटना पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शा से भी बात की है लेकिन सवाल यही उठता है कि जब उस इलाके में पहले से हमले हो रहे थे तो वहाँ की सरकार ने क्यों इस बात को नज़रअंदाज किया, अगर पहले के बाद ही कुछ एहम कदम उठाये जाते तो साधुओं के साथ-साथ बाकि हमलों को भी रोका जा सकता था, प्रशासन की ये लापरवाही निंदाजनक है और साथ ही साथ  उन तमाम लोगों के वाक्य भी जो ऐसी घटनाओ को साम्प्रदायिक रंग देने से पीछे नहीं हटते।  
 


 
 
 Breaking Buzz is news/Media network
Breaking Buzz is news/Media network  
 
 
 
 
0 Comments