भारत की अर्थव्यवस्था के साथ साथ भारत की मर्दव्यवस्था भी बहुत खराब हो चुकी है

एक जनवरी 2019 से लेकर  30 जून 2019 तक 24,212 बलात्कार के केस दर्ज होते हैं, ये केस सिर्फ नाबालिग बच्चियों से संबंधति है, इसी रिकॉर्ड में बलात्कार के दर्ज केसों में 12,231 केस में पुलिस ने आरोप पत्र दायर किये और 11,981 केसों की जाँच चल रही है लेकिन 6449 केसों में ट्रायल चल रहा था और सिर्फ 911 केसो में फ़ैसला हुआ है, यानि फैसलो के मुताबिक ये केवल 4% है, पर इसके बावजूद भी हम यही कहेंगे कि "हमारे देश की महिलाये, नाबालिग बच्चिया बिलकुल सुरक्षित है" और ऐसा क्यों न कहा जाये,
Thomson Reuters Foundation की रिपोर्ट के मुताबिक भारत पुरे विश्व में महिलाओ के लिए सबसे असुरक्षित देश साबित हुआ है पर इस पर भी लोग महिलाओ की सुरक्षा के बारे में सोचते हुए नहीं बल्कि इस रिपोर्ट की निंदा करते नज़र आए


2017 में पुरे साल में 17,780 मामले दर्ज हुए थे और 2019 में  ये आंकड़े सिर्फ 6 महीनों में 24,212 तक जा पहुंचे है, अंको की संख्या बढ़ने के साथ-साथ बलात्कार के तरिके भी हद पार करते जा रहे हैं, आज से ठीक सात वर्ष पहले निर्भया हत्याकांड के हथियारों को अब तक फांसी नहीं हुई और आज सात वर्ष बाद हैदराबाद की डॉक्टर रेप केस के बाद फिर दुबारा प्रदर्शन हो रहे है, हथियारों को फांसी के फंदे पर लटकाने की मांग की जा रही है, सात वर्षो में कुछ नहीं बदला,कुछ बदला है तो सिर्फ बलात्कार के केसों की संख्या और इन नीच लोगों की हिम्मत ताकि वो फिर दुबारा ऐसे दुष्कर्म को अंजाम दे सके,आज कैंडल मार्च करने से और सरकार से गुहार लगाने के बजाए पुरुष समाज की सोच को बदलने की आवयश्कता है, हर बच्चे को बचपन से ही घर में ये शिक्षा प्रदान की जनि चाहिए ताकि भारत के पुरषो की गली और सड़ी हुई सोच को बदला जा सके आज सवाल यही पैदा होता है कि पुरषों के मानस और मनो विज्ञानं का जिन चीज़ो से निर्माण हो रहा है क्या उसे हम समझ नहीं पा रहे है या समझते हुए भी उसका उपाए नहीं ढूँढ पा रहे हैं
आज सियासी ठेकेदारों को एक पल के लिए धर्मो को छोड़, कुर्सी की चिंता को छोड़ देश की बेटियों के लिए सोचना चाहिए, उनकी सुरक्षा के बारे में सोचना चाहिए क्यूंकि अगर आप सदियों पुराने मुद्दे हल कर सकते है तो महिलाओ की सुरक्षा के लिए क्यों अब तक कुछ नहीं कर पाए है ? हर मुद्दे को ज़मीन के बंटवारे में खत्म नहीं किया जा सकता
आज धर्मो को हर क्षेत्र में घसीटा जाता है,खाने से लेकर इंसान के पहनावे तक,तो हमारा समाज बलात्कार के विषय पर पीछे कैसे रह सकता था? दुःख होता है जब सियासी ठेकेदारों को और भारत के लोगों को औरत के दर्द से पहले उसका धर्म दीखता है
अरे "जिस देश में औरत को ज़िंदा जलाया
        जाता हो, उस देश में दुर्गा पूजा
         की बाते बेमानी लगती हैं "
यहां बात केवल एक धर्म की नहीं हो रही यहां बात इंसानियत की है, एकता की है, महिलाओ की सुरक्षा की है जो आज न के बराबर नज़र आ रही है,
जो ये दिखाती है कि आज भारत की अर्थव्यवस्था के साथ साथ भारत की मर्दवयवस्था भी बहुत खराब हो चुकी है



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