CAB के बाद अब क्या भारत बन जाएगा एक "हिंदू राष्ट्र"?

भारत की अर्थव्यवस्था की स्तिथि दिन प्रति दिन बुरी होती जा रही है, भारत के लोगों के पास खाने को खाना, पीने को पानी नहीं है, युवाओं के पास नौकरियाँ नहीं है, हमारे किसान भाई आज भी इसी आस में हैं कीं शायद वो दिन आएगा जब उनकी समस्याओं को भी अपना समझा जायेगा,भारतवासिओं की इन तमाम समस्याओं के बावजूद भारत देश दूसरे देशो में रहने वाले उन तमाम लोगों पर बीते उन अत्याचारों को अवल दर्जा देगा और शरणार्थियों को भारतीय होने का अधिकार भी,यानि "नागरिकता संशोधन बिल"

सबसे पहला सवाल कि आखिर ये नागरिकता संशोधन बिल क्या है?
नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया गया, जिससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव किया जा सकता है, नागरिकता बिल के  इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा,

भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में पहले 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य थे,जो कि अब नागरिकता संशोधन बिल के बाद बांग्लादेश,पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को घटाकर 6 वर्ष कर दिया गया है,

नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 को 19 जुलाई 2016 को लोकसभा में पेश किया गया था,12 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय समिति को सौंप दिया गया और समिति ने इस साल जनवरी 2019 में अपनी रिपोर्ट के बाद, नौ दिसंबर 2019 को यह विधेयक दोबारा लोकसभा में पेश किया जहाँ ये बहुमत के साथ पारित भी हो गया, 11 दिसंबर 2019 को यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया और वहां भी पारित हो गया,अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और राजपत्र में प्रकाशित होने के बाद अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के सभी गैरकानूनी प्रवासी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भारतीय नागरिकता के योग्य हो जाएंगे।

                       विवाद के मुख्य कारण ?

1- धर्मो के आधार पर नागरिकता देने का ऐलान-  भारत पूरी दुनिया में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर अलग माना जाता है या यूँ कहे कि ये भारत की पहचान है, पर आज इस निर्णय के बाद भारत से उसकी ये पहचान छीनी जा रही है, इस विधेयक में मुस्लिम लोगों को दूर रखा गया है, इस वजह से लोगों का आक्रोश दिखाई दिया कि आखिर क्यों सरकार हर मुद्दे को धर्मों से जोड़कर इस देश के टुकड़े करना चाहती है क्यूंकि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा, जिसमें समानता के अधिकार की बात कही गई है।

2- भारत कोई धर्मशाला नहीं- भारत के देशवासि जिन तमाम समस्याओं का सामना कर रहे है सरकार को दूसरे देशो के शरणार्थीओ से पहले उन समस्याओं के बारे में सोचना चाहिए, तमाम भारतवासिओं के बारे में सोचना चाहिए, भारत देश जनसंख्या की समस्या से परेशान है ऐसे में और लोगों का भारत की नागरिकता पा लेना इस समस्या को बड़ाने में सक्षम है । 

3- हिन्दू राष्ट्र- लोगों का कहना है कि सरकार भारत देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती और देश में विवाद की स्तिथि बनाना चाहती है, और अगर भारत देश किसी एक धर्म को लेकर चलेगा तो भारत कभी विकसित राज्य नहीं बन पायेगा। 

4- North-east के लोग इस बिल के खिलाफ भारी कगार में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, उनके मुताबिक इस विधेयक के बाद अब दूसरे देशो से अवैध तरीके से आए लोग भारी संख्या में आसानी से नागरिकता प्राप्त कर लेगें जो किसी भी राज्य के लिए उचित नहीं है। 


आज भारत के हर नागरिक को राजनीती से परे अपने देश के बारे में सोचना होगा, भारत देश धर्मनिरपेक्षता की पहचान नहीं खो सकता, हर राजनैतिक फैसले से पहले, हर मुद्दे से पहले,एक जुट होकर सिर्फ और सिर्फ अपने देश और देशवासिओ के लिए सोचना चाहिए
CAB के बाद अब क्या भारत बन जाएगा एक "हिंदू राष्ट्र"? 

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