आखिर क्या है भारत की अर्थव्यवस्था की सच्चाई?


आज जहाँ भारत में अनुच्छेद 370, तीन तलाक, राम मंदिर आदि जैसे मुद्दे चर्चा के विषयों में पाए जाते है उसी बीच एक ऐसे एहम मुद्दे को दबाया जा रहा है जो प्रतेक भारतवासिओ से जुड़ा है, जो हम सब से जुड़ा है यानि "अर्थव्यवस्था" इस शब्द को पढ़ते ही सबसे पहला सवाल ये आता है कि आखिर ये अर्थव्यवस्था शब्द का अर्थ क्या है? अर्थव्यवस्था दो शब्दों से मिलने पर बनता है, अर्थ एवं व्यवस्था, यहाँ अर्थ का तात्पर्य मुद्रा से है यानि धन और व्यवस्था का मतलब है एक स्थापित कार्यप्रणाली, यानि वर्तमान में किसी भी देश या क्षेत्र विशेष में अर्थशास्त्र का गणित चित्र या सभी आर्थिक गतिविधिओं का वर्णन अर्थव्यवस्था कहलाता है....आज भारत की अर्थव्यवस्था में भारी  गिरावट आयी है, जिसके बाद सरकार के उस सपने को  "2024 तक भारत 5 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेगा" को सपना ही बताया जा रहा है....आईये जानते है की 2010 से 2019 तक भारत की अर्थव्यवस्था का सफर


2010 के आंकड़ों के मुताबिक भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट में काफी उछाल देखने को मिला था

2011 में भारत की जीडीपी में काफी गिरावट देखने को मिली और इंडोनेशिया ने भी भारत को पछाड़ दिया


2012 में भारत का जीडीपी ग्रोथ रेट ना ही बड़ा और ना ही घटा


      2013 तक हमने इंडोनेशिया को भी पछाड़ दिया...




 

2014 में भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट ने जोर पकड़ना शुरू किया और देखते ही देखते भारत ने चीन, इंडोनेशिया, जर्मनी जैसे देशो को पीछे छोड़ दिया और हमारा जीडीपी ग्रोथ रेट 7% से ज्यादा हो गया...पर 2018 में भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट में भारी गिरावट आयी और और 2019 तक ये 7% से 5% तक पहुंच गया है, वहीं अगर हम नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ रेट की बात करे तो वो 8% से गिर चूका है जो पिछले 17 सालों में सबसे कम साबित हुआ है....फॉर्मर चीफ एडवाईसर अरविन्द सुबरमण्यम का कहना है की ये जीडीपी ग्रोथ रेट 2. 5 % से जिआदा कर रखा है....उनके अनुमान के मुताबिक वर्तमान में चल रहा जीडीपी ग्रोथ रेट 2. 5 % हो सकता है....भिन्न क्षेत्रों की बात करे तो  मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सिर्फ 0.6 % विकास देखने को मिला है इस क्वाटर में जो पिछले साल इसी क्वाटर में 12. 1 % थी, एग्रीकल्चर सेक्टर 2% से बड़ा जो पिछले वर्ष 5. 1 % से बड़ रहा था तो वहीं कंस्ट्रक्शन सेक्टर भी सिर्फ 2% से बड़ा है...अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि भारत की अर्थव्यवस्था में इतनी गिरावट आयी कैसे ? आईये नज़र डालते है हर उस वजह पर जिसे अर्थव्यवस्था की इस हालत की वजह बताया जाता है...


सबसे पहला कारण "विमुद्रीकरण"को माना जाता है, नोटबंदी  के बाद एक रिपोर्ट के मुताबिक कॉर्पोरेट इंवेस्टमेंट्स में  60% की गिरावट आयी थी.....दूसरा कारण बताया जाता है GST, इससे टैक्स सिस्टम को आसान तो बनाया गया...परंतु कई कोम्पनिओ को इसे समझने में बहुत मुश्किले आयी जिस से भारी नुक्सान देखने को पाया मिला, तीसरा कारण बजट 2019 को कहा जा रहा है, जिसके बाद स्टॉक मार्किट में भारी गिरावट देखने को मिली, यहाँ तक के इंवेस्टर्स ने जो पैसा भारत में इन्वेस्ट किया था उसमे 22.5 खरब रुपया वापिस ले लिया है जिस दिन से नया बजट पेश किया गया....चौथा कारण बेरोजगारी को पाया गया  है..आज  भारत में लोगो के पास नौकरी नहीं है, और जिन लोगों के पास नौकरी हैं उनकी तन्ख्याह बड़ नहीं रही जैसे की रूरल वेज ग्रोथ यानि के गांव में रहने वाले लोगो की तनख्वाह में कितना विकास पाया गया है...2014 तक ये आर्थिक रूप से 14.6 % से बड़ रहा था जो की अब 2019 में सिर्फ 1.1% हो गया है...अगला बड़ा कारण बैंक फ्रॉड को माना जाता है जो 2018-2019 में पिछले साल के मुकाबले 74% बड़ गया है, रबीई की रिपोर्ट के मुताबिक 71 हज़ार करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड हुए है पिछले एक साल में....

अब देखना ये होगा कि जीडीपी ग्रोथ रेट को दुबारा 7% तक पहुंचाने के लिए सरकार कोनसे बड़े कदम उठाती है... 

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